भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) छात्र-छात्राएं अगर अपने स्टार्टअप में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो भी उनके लिए प्लेसमेंट के दरवाजे खुले रहेंगे। संस्थान ने छात्र-छात्राओं के लिए ‘डिफर्ड प्लेसमेंट प्रोग्राम’ तैयार किया है।
आइआइटियंस जॉब करने के बजाय नौकरी देने वाले बनें, इस मकसद से आइआइटी कानपुर ने अपने छात्र-छात्राओं के लिए इंक्यूबेशन सेंटर तैयार किया है। इसमें उनके आइडिया के आधार पर स्टार्टअप स्थापना में मदद की जाती है। अब तक बिजनेस आइडिया कामयाब हो गया तो ठीक वरना छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट का मौका नहीं मिलता था।
अब ‘डिफर्ड प्लेसमेंट प्रोग्राम’ में स्नातक के छात्रों को स्टार्टअप से जोडऩे के लिए प्लेसमेंट से पहले इंक्यूबेशन सेंटर भेजा जाएगा। वहां वह अपना बिजनेस आइडिया इंक्यूबेटर से साझा करेंगे। आइडिया बेहतर होने पर उसे स्टार्टअप के लिए चयनित किया जाएगा और फंडिंग भी की जाएगी। आइआइटी के बायोलॉजिकल साइंसेस एंड बायो इंजीनियङ्क्षरग के प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि जो छात्र इंक्यूबेटर के पास जाएंगे उन्हें दो वर्षों का समय दिया जाएगा। अगर उनका बिजनेस आइडिया सफल नहीं हो पाता है तो आइआइटी प्रशासन उन्हें प्लेसमेंट ड्राइव में शामिल होने का मौका भी देगा।
10 लाख की मदद, 50 हजार की फेलोशिप
आइआइटी कानपुर के छात्र-छात्राओं को इस ‘डिफर्ड प्लेसमेंट प्रोग्रामÓ के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी। इसके अलावा छात्र या छात्रा को 50 हजार रुपये तक की फेलोशिप भी मुहैया कराई जाएगी ताकि वह बिना किसी दिक्कत के अपना स्टार्टअप शुरू कर सके। आइआइटी के विशेषज्ञ उनकी मदद भी करेंगे।
व्यवस्था पर एक नजर
- 2003 में इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना हुई
- 115 छात्र-छात्राओं ने स्टार्टअप के लिए आइडिया
- 40 स्टार्टअप की स्थापना हो चुकी
- 75 बिजनेस आइडिया अभी विचाराधीन