बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिजली दरों में वृद्धि पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाते हुए योगी सरकार से सवाल किया है कि क्या सरकार खजाना खाली कर इसकी वसूली जनता से कर रही है।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर सरकार से सवाल किया है कि ‘पहले महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ और अब महंगी बिजली की मार, उप्र की भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है। क्यों? खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली जनता पर महंगाई का चाबुक चला कर रही है। कैसी सरकार है ये?’
इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर भाजपा को घेरा। उन्होंने लिखा, ‘उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा व उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त व कष्टदायी होगा। सरकार इस पर तुरंत पुनर्विचार करे तो यह बेहतर होगा।’
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बिजली की बढ़ी दरों पर सरकार पर वार किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘एक तरफ घटती आय व मांग और बढ़ती लागत की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है वहीं प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं। कारोबारी व जनता सब त्रस्त हैं। उप्र में निवेश की घोषणाएं भी थोथी साबित हो रही हैं, क्योंकि इनके लिए कोई भी बैंक पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं है।’
वहीं अन्य विपक्षी दलों ने भी दरें बढ़ाने के फैसले को जनविरोधी बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा का गरीब, किसान, मजदूर व मध्यम वर्ग विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। कांग्रेस विधानमंडल दल नेता अजय कुमार लल्लू ने विद्युत दरों में वृद्धि को भाजपा सरकार का नादिरशाही फैसला करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का जनविरोधी चेहरा सामने आ रहा है। मंदी की मार झेल रहें लोगों पर दोहरी मार पड़ेगी। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद ने आरोप लगाया कि योगी सरकार लगातार जनविरोधी फैसले ले रही है। जनता को अब अच्छे दिन आने के दावों की सच्चाई नजर आने लगी है। जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल ने बिजली दरें बढ़ाने को सरकार का अव्यावहारिक फैसला बताया और सरकार से फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
ऊर्जा मंत्री ने दिया विपक्ष को जवाब
बिजली दरों की बढ़ोतरी पर विपक्ष के सवालों का ऊर्जा मंत्री व सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकारों की आर्थिक अनियमितताओं के चलते मजबूरीवश कुछ श्रेणियों में बिजली दरों में आंशिक बढ़ोतरी करनी पड़ी। उन्होंने ट्वीट किया कि ‘यह सपा-बसपा के पाप रहे कि भ्रष्टाचार बढ़ता गया और बिजली कंपनियां भारी घाटे में चली गईं। सपा-बसपा के कार्यकाल में सिर्फ दरें बढ़ती थीं। भाजपा के कार्यकाल में दरे कम और बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े हैं। सरकार ने बढ़ती दरों से गरीबों को मुक्त रखा है। अब जिलों को 24 घंटे, तहसील को 20 व गांव को 18 घंटे बिजली मिल रही है। पूर्व की सरकारों में कोई रोस्टर नहीं था। बिजली सिर्फ चहेते जिलों को ही नसीब होती थी। वर्ष 2016-17 में पीक डिमांड 16,500 मेगावाट थी, जिसे पूर्व सरकार पूरा नहीं कर पा रही थी। अब 21,950 मेगावाट की डिमांड पूरी हो रही है। ग्रिड की क्षमता बढ़ाई जा रही है। 66,300 किलोमीटर की जर्जर लाइन बदलने का काम तेजी से चल रहा है।’