तीन साल पहले वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के 15 हजार से अधिक लोगों को काटने वाले डेंगू के मच्छर इन दिनों फिर लोगों को डराने लगे हैं। लखनऊ से लेकर सीतापुर, हरदोई सहित कई जिलों में बुखार के बढ़ रहे मरीज सरकार की चिंता बढ़ा रही है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यह बीमारी तीन साल में लौटकर आती है और अब यह तीसरा साल है।
डेंगू के मरीज पिछले साल के मुकाबले अबकी प्रदेश में अधिक दिख रहे हैं। इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने जहां संक्रामक रोग अभियान को डेंगू पर फोकस कर दिया है, वहीं लोगों से भी सतर्कता बरतने की अपील की है। संचारी रोग निदेशक डॉ.मिथिलेश चतुर्वेदी बताती हैं कि डेंगू होने पर इसके उपचार के दौरान मरीज के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होते हैं, जो करीब तीन साल तक प्रभावी रहते हैं। इसलिए इस दौरान दोबारा डेंगू होने की आशंका कम रहती है। इसी तरह सब क्लीनिकल लेवल पर भी एंटीबॉडी सक्रिय हो जाते हैं।
यानी मरीज के आसपास रहने वाले परिवारीजन और डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ में भी इसी तरह प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है, जो तीन साल तक डेंगू से बचाए रखती है। हालांकि मधुमेह या ऐसी अन्य बीमारी होने पर तीन साल के भीतर भी डेंगू होने की आशंका रहती है। संचारी रोग निदेशक ने बताया कि वर्ष 2016 में प्रदेश में डेंगू का प्रकोप बड़े पैमाने पर सामने आया था। इसलिए अब फिर इसके फैलने की आशंका है। इस साल इसके संकेत भी दिख रहे हैैं। पिछले साल तीन सितंबर तक प्रदेश में डेंगू के 330 मरीज मिले थे, जबकि मौत एक भी नहीं हुई थी। इस साल तीन सितंबर तक 419 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि दो लोग जान गंवा चुके हैं।
स्कूलों से पंचायतों तक बढ़ी सतर्कता
डेंगू की आशंका देख संचारी रोग विभाग ने स्कूलों से लेकर पंचायतों तक में सतर्कता व बचाव के प्रयास बढ़ा दिए हैैं। सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम एक शिक्षक को डेंगू से बचाव के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जो बच्चों को प्रार्थना सभाओं और कक्षाओं में इसकी जानकारी दे रहे हैैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सहित अन्य 12 विभाग भी ग्राम पंचायतों से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर डेंगू से बचाव, इसके लक्षण और उपचार की जानकारी दे रहे हैैं। निदेशक ने बताया कि जहां डेंगू के मरीज मिल रहे हैैं, वहां आसपास के 50 घरों में फॉगिंग कराई जा रही है।
उत्तर प्रदेश में डेंगू
वर्ष मरीज मौतें
2016 15033 42
2017 3099 28
2018 3829 04