चंद्रयान के चंद्रमा पर उतरते देखने की उत्सुकता और उस पल का गवाह बनने की इच्छा लिए शहर के तमाम लोग देर रात तक टीवी के सामने डटे रहे। पूरे दिन चंद्रयान के चांद पर उतरने की फ्रिक रही। रात को वे इसके लिए प्रार्थना करते दिखे। हालांकि अंतिम क्षणों में निराशा हाथ लगी।
इससे पहले दोपहर को शहर के स्कूलों में भी शिक्षकों ने छात्र-छात्रओं को चंद्रयान के चंद्रमा पर उतरने की जानकारी दी। बताया कि चंद्रयान-2 का सफर करीब डेढ़ माह पहले 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू हुआ, जहां से चंद्रयान-दो को प्रक्षेपित किया गया था। उन्होंने पूरी जानकारी दी कि चंद्रयान किस तरह चांद तक पहुंचता है।
शाम को प्राइम टाइम में भी लोग अपने पसंदीदा टीवी कार्यक्रम देखने की जगह चंद्रयान दो से जुड़ी खबरें जानने को न्यूज चैनल बदलते रहे। सभी इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने को आधी रात के बाद तक जागे।
सोशल मीडिया पर चंद्रयान और देश प्रेम
सोशल मीडिया पर दिन में तो चंद्रयान को लेकर चर्चा होती रही। मगर, शाम को जैसे-जैसे समय नजदीक आता गया, फेसबुक पर पोस्ट बढ़ती चली गईं।
हर किसी के लिए यादगार पल
मनोज गुप्ता देर रात तक परिवार के साथ टीवी के सामने बैठे रहे। बोले, हमारे वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत का फल मिलना था इसलिए देर रात तक चंद्रयान के चांद पर उतरने का इंतजार करते रहे। अरविंद गंगवार बोले, चंद्रयान-दो के चंद्रमा पर उतरने को लेकर पूरा देश उत्साहित है। हमारे वैज्ञानिकों ने की मेहनत से ही हमारा देश दुनिया में श्रेष्ठ है। चंद्रयान के लिए उन्होंने सालों-साल मेहनत की। इसके लिए वह सराहना के पात्र हैं।
छात्र अक्षिता का कहना था कि हमारे देश के वैज्ञानिकों की सालों मेहनत की। हमारे स्कूल में भी चंद्रयान के बारे में बताया गया।
मिशन चंद्रयान की टीम में बदायूं के सतपाल अरोरा भी
चंद्रयान-2 की टीम में बदायूं के सतपाल अरोरा भी हैं। वह इसरो के तीन सौ वैज्ञानिकों के उस दल का नेतृत्व कर रहे जोकि इस मिशन में अहम भूमिका रखता है। चंद्रयान-2 में सेंसर प्रक्रिया अहम भूमिका में है। मेक इन इंडिया के तहत बने कमर्शियल सेंसर कई चरणों में सेट करने के बाद चंद्रयान-2 में असेंबल किए गए थे। सतपाल अरोरा उर्फ मिक्कू ने चंद्रयान-2 में ग्राउंड फंक्शन से लेकर फ्लाइट मोड तक में लगे सभी सेंसर के सुचारू और सटीक क्रियान्वय की जिम्मेदारी संभाली है।
सतपाल अरोरा उर्फ मिक्कू की पढ़ाई उझानी के न्यू लिटिल एंजिल स्कूल और एमजीएनपी इंटर कॉलेज से हुई। इसके बाद भोपाल में 80 फीसद अंकों के साथ गोल्ड मेडल हासिल कर बीटेक की पढ़ाई पूरी की। तभी चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय में पढ़ाने का मौका मिला। वहां उन्होंने तीन साल जॉब की। 2007 में ऑल इंडिया साइंटिस्ट एंट्री एग्जाम पास कर इसरो के साथ जुड़ गए। सतपाल के पिता चरनजीत सिंह अमृतसर से बदायूं के उझानी में आए और यहीं बस गए।
अपने बचपन को याद करते हुए सतपाल अक्सर बताते हैं कि उन्हें हमेशा अलग करने का शौक था। छोटी-छोटी चीजें उन्हें लुभाती थीं। मसलन, खौलती चाय में उठते बुलबुले उन्हें आकर्षित करते थे।