कुंडा के शेखपुर आशिक गांव में मुहर्रम के दिन मंदिर पर भंडारा आयोजित करने की पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह के पिता उदय प्रताप सिंह को डीएम ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सोमवार शाम को उन्हें उनकी भदरी कोठी में नजरबंद कर दिया गया। इसके अलावा शेखपुर में लगे केसरिया झंडों को हटाने की ताजियादारों की मांग के चलते सीओ ने भदरी कोठी पर नोटिस चस्पा कर दिया।
देर शाम डीएम मार्कंडेय शाही व एसपी अभिषेक सिंह भदरी कोठी पहुंचे। वहां नजरबंद उदय प्रताप सिंह से डीएम ने मंदिर के पास अधिक झंडे लगाए जाने के बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष के लोगों ने भी तो झंडे अधिक लगाए हैं। इसको लेकर कहासुनी भी हुई। कुछ देर की कहासुनी के बाद डीएम ने उदय प्रताप से मौके पर चलने के लिए कहा। डीएम-एसपी उदय प्रताप सिंह के साथ शेखपुर आशिक गांव स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां डीएम ने ताजियादारों को भी बुला लिया। ताजियादारों के पहुंचते ही उदय प्रताप नाराज हो गए।
डीएम ने झंडा सीमित करने के लिए औपचारिकता पूरी करने की बात कही तो उदय प्रताप उखड़ गए। बोले कि न तो वह किसी कागज पर हस्ताक्षर करेंगे और न ही कोई उनका आदमी। प्रशासन उनके खिलाफ एक्शन ले, वह इस मुद्दे पर इससे अधिक बात नहीं करेंगे। इतना कहने के बाद वह कार में बैठकर भदरी कोठी चले गए। डीएम और एसपी कुंडा स्थित डाक बंगले पर पहुंचे। यहां पर डीआइजी कवींद्र प्रताप सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशा निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि शेखपुर आशिक गांव में मुहर्रम के दिन उदय प्रताप सिंह प्रयागराज-लखनऊ हाईवे के किनारे स्थित हनुमान मंदिर पर भंडारा करते हैं। पिछले दो साल से प्रशासन ने भंडारे के आयोजन पर रोक लगा रखी है। इस बार भी उन्होंने नौ से 12 सितंबर तक हनुमान चालीसा का पाठ करने व 10 सितंबर को भंडारा करने की अनुमति जिला प्रशासन से मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया। 30 अगस्त को उदय प्रताप सिंह ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की। हाई कोर्ट के आख्या मांगने पर डीएम ने यह रिपोर्ट भेजी कि मुहर्रम पर भंडारे के आयोजन की अनुमति देने से शांति व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा है, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती है।