जब 17 साल के सचिन तेंदुलकर ने शुरू किया शतकों का ‘महारिकॉर्ड’ बनाने का सिलसिला

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले और टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने आज ही के दिन से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक महारिकॉर्ड को बनाने का सिलसिला शुरू किया था। साल 1989 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले 5 फीट 5 इंच के सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के खिलाफ इंग्लैंड की ही सरजमीं पर टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाकर टेस्ट मैच को ड्रा कराया था। 

दरअसल, 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इसी दिन अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक ठोका था। इसी शतक की वजह से मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में टीम इंडिया ने सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच ड्रॉ कराया था। हालांकि, इससे पहले एक टेस्ट मैच टीम इंडिया हार चुकी थी। उस मुकाबले में इंग्लैंड के कप्तान ग्राहम गूच ने 333 रन की पारी खेली थी। 

तीन मैचों की सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में इंग्लैंड की ओर से पहली पारी में तीन शतक लगे। इंग्लैंड की टीम ने आउट होने से पहले बोर्ड पर 510 रन टांग दिए थे। इसके बाद 432 रन पर ढेर हो गई, जिसमें कप्तान मोहम्मद अहजरुद्दीन ने 179 रन की पारी खेली। इस तरह 78 रन की बढ़त के बाद इंग्लैंड ने दूसरी पारी को 320 रन (4 विकेट) पर घोषित कर दिया।

इस तरह जीत के लिए भारत को 399 रन बनाने थे और पूरे एक दिन बल्लेबाजी कर मैच भी बचाना था। टीम इंडिया की खराब शुरुआत हुई और 4 पर एक विकेट और 35 रन पर दो विकेट गिर चुके थे। इसके बाद संजय मांजरेकर और दिलीप वेंगसरकर ने पारी को थोड़ा बहुत संभाला, लेकिन जल्दी आउट हो गए। इसके बाद नंबर 6 पर सचिन तेंदुलकर आए और फिर इतिहास रचने का सिलसिला शुरू हो गया।    

सचिन तेंदुलकर ने 189 गेंदों का सामना करते हुए 17 चौकों के साथ 119 रन की पारी खेली। सचिन तेंदुलकर के करियर की ये पहली तीन अंकों वाली पारी थी। यही सचिन तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतका था, जो 100 शतकों के महारिकॉर्ड पर जाकर शांत हुआ। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में 51 और वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में 49 शतक लगाए।  

सचिन तेंदुलकर की उम्र उस समय 17 साल की थी। महज 17 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की सरजमीं पर शतक लगाने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज थे। सचिन तेंदुलकर ने इतनी उम्र में शतक लगाकर और भारत के लिए मैच बचाकर खुद को साबित कर दिया था कि वे कुछ बड़ा करने के लिए पैदा हुए हैं। 

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