उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने रविवार को कहा कि उन्हें कभी इस पद की चाहत नहीं थी। इसकी जगह वे भारतीय जनसंघ के नेता व सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत नानाजी देशमुख के पदचिन्हों पर चल उनकी तरह रचनात्मक कार्य करना चाहते थे। वेंकैया नायडू ने बताया, ‘जब उपराष्ट्रपति पद के लिए मेरा नाम लिया गया तब मैं भावुक हो गया, आंखों में आंसू आ गए। कारण साधारण सा था कि अगले दिन से ही न तो मैं भाजपा कार्यालय जा सकता था और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कर सकता था।’
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने रविवार को कहा कि उन्हें कभी इस पद की चाहत नहीं थी। इसकी जगह वे भारतीय जनसंघ के नेता व सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत नानाजी देशमुख के पदचिन्हों पर चल उनकी तरह रचनात्मक कार्य करना चाहते थे। वेंकैया नायडू ने बताया, ‘जब उपराष्ट्रपति पद के लिए मेरा नाम लिया गया तब मैं भावुक हो गया, आंखों में आंसू आ गए। कारण साधारण सा था कि अगले दिन से ही न तो मैं भाजपा कार्यालय जा सकता था और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कर सकता था।’