पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण व दुष्कर्म के आरोप लगाने वाली शाहजहांपुर की एलएलएम छात्रा को ब्लैकमेलिंग केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है। पीड़िता ने खुद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने व कोर्ट में पहले दर्ज कराए गए बयान को गलत बताते हुए दोबारा बयान दर्ज कराने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे स्वीकार नहीं किया। स्वामी चिन्मयानंद पर छात्रा से दुष्कर्म करने व पीड़िता पर ब्लैकमेलिंग करने का आरोप है। दोनों मामलों की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट के साथ केस डायरी पेश किया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट व केस डायरी को देखा और एसआइटी जांच व कार्रवाई को संतोषजनक माना है। अब जांच की प्रगति रिपोर्ट 22 अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया है।
पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरण का कहना था कि कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज करते समय रिकार्डिंग नहीं की गई, उसके बयान में बदलाव किया गया है। हर पृष्ठ पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए। पेज क्रमवार नहीं हैं। बयान दर्ज करते समय एक महिला मौजूद थी। जो लगातार कुछ रिकॉर्ड कर रही थी। कोर्ट ने इन तर्कों पर कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे हर पेज पर साइन कराया जाए। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत कोर्ट में दर्ज बयान फिर से कराने की पीड़िता की मांग को कोर्ट ने यह कहते हुए मानने से इन्कार कर दिया कि ऐसा कोई वैधानिक उपबंध नहीं है। इस मुद्दे पर कोर्ट ने अपना कोई मत व्यक्त नहीं किया और कहा कि इस पर संबंधित न्यायालय विचार करेगी।
वहीं, एसआइटी की ओर से शासकीय अधिवक्ता एसके पाल व अपर शासकीय अधिवक्ता एके संड ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता व ब्लैकमेलिंग के अन्य आरोपियों के गहरे संबंध हैं। इसको लेकर जांच टीम ने फोन कॉल रिकॉर्ड की सूची भी पेश की। बताया कि इन वीडियो क्लिपिंग की जांच कराई गई है। इसमें ब्लैकमेलिंग के आरोपियों संजय व सचिन उर्फ सोनू का पीड़िता से गहरे संबंध का खुलासा हुआ है। इनकी लोकेशन एक साथ पाई गई है। चार हजार से अधिक कॉल डिटेल मौजूद हैं। सरकारी वकील ने यह भी बताया कि दुष्कर्म के आरोपित चिन्मयानंद के फोन से ओम सिंह को भेजी गई वीडियो पुलिस टीम को मिली है।
स्वामी चिन्मयानंद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने पक्ष रखा। कोर्ट को बताया गया कि एसआइटी अभी स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म के साथ पीड़िता व उसके साथियों पर ब्लैकमेलिंग के आरोपों की जांच कर रही है। कोर्ट ने जांच यथाशीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसके पिता व एसआइटी अफसर कोर्ट में मौजूद थे।
चैंबर में सुनवाई की मांग नामंजूर
प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट से मांग की कि मामले की सुनवाई चैंबर में की जाए। चिन्मयानंद के अधिवक्ता दिलीप कुमार ने इस पर आपत्ति की। कहा कि एसआइटी तो प्रेस कांफ्रेंस करके सारी जानकारी दे रही है। ऐसे में इस मामले में गोपनीयता की जरूरत नहीं है।
पेश किया गया कॉल डिटेल
एसआइटी के आइजी नवीन अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि पीडि़ता और संजय के बीच 40200 बार बात हुई है। दोनों की बातचीत से जुड़ा पूरा कॉल डिटेल कोर्ट में पेश किया।
गुरफ्तार हो चुके हैं चिन्मयानंद
स्वामी चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित छात्रा पिता और भाई के साथ शनिवार देर रात ही प्रयागराज रवाना हो गई थी। एलएलएम की एक छात्रा ने पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर रेप और यौन शोषण का आरोप लगाया है।पीड़ित छात्रा ने जान का खतरा भी बताया है। इसके साथ ही गिरफ्तारी पर रोक की मांग को लेकर कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है। इससे पहले एसआइटी शुक्रवार को चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। कोर्ट ने चिन्मयानंद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। रंगदारी मामले में छात्रा के दोस्त संजय, विक्रम और सचिन को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस मामले में एसआइटी ने छात्रा को भी दोषी पाया है।