भारत ने अमेरिका में कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन एवं अनुच्छेद-370 को खत्म करने का उसका फैसला पूरी तरह आंतरिक है। इससे किसी देश की सीमा या अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं हुआ है। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) ने सोमवार को फॉक्स न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया है। यह फैसला किसी भी तरह से जम्मू और कश्मीर की सीमा और अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण रेखा को प्रभावित नहीं करता है। यह भारत का पूरी तरह आंतरिक मामला है। भारत ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि यह भारत के विकास को बाधित कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह संविधान के तहत लिया गया एक अस्थायी प्रावधान है। इस फैसले का मकसद राज्य में सुशासन और सामाजिक आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना है।
इस बीच चीन की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग यी से सोमवार को साफ-साफ कहा कि भारत के अनुच्छेद-370 खत्म करने के कदम से न तो पाकिस्तान से लगती सीमा बदली है और न ही चीन की। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बेहतर शासन संचालन के लिए यह निर्णय लेकर भारत ने किसी नए इलाके पर दावा भी नहीं किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन ने ‘के’ शब्द यानी कश्मीर का उल्लेख तो किया, लेकिन ‘क्यू’ यानी पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का नाम नहीं लिया।
जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री की ओर से कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप मसले के समाधान की जरूरत रेखांकित करने पर उक्त जवाब दिया। भारत से गए पत्रकारों से देर रात मुलाकात में जयशंकर ने वांग यी से बातचीत का विवरण देते समय खास तौर पर यह जानकारी साझा की। उन्होंने चीनी नेताओं से कहा, ‘भारत-चीन के रिश्तों का भविष्य एक दूसरे के मुख्य चिंताओं को लेकर बरती जाने वाली संवेदनशीलता से ही तय होगा। यह बेहद प्राकृतिक भी है क्योंकि दोनों पड़ोसी होने के साथ ही आर्थिक तौर पर बड़े विकासशील देश भी हैं, ऐसे में इनके बीच कई मुद्दे बने रहेंगे। ऐसे में मतभेदों का सही तरीके से प्रबंधन बहुत जरूरी है।