उभ्भा नरसंहार मामले में एसआइटी की टीम पहुंची मीरजापुर, समिति से संबंधित अभिलेख को खंगालने में जुटी

 17 जुलाई को घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा में विवादित भूमि को कब्जा करने के चक्कर में हुए नरसंहार मामले की जांच की जा रही एसआइटी के कुछ सदस्यों की टीम बुधवार को मीरजापुर पहुंची। वहां कलेक्ट्रेट पहुंचकर 1952 में आदर्श कृषि सहकारी समिति के गठन के समय सदस्यों की संख्या, किस नियम के तहत गठन हुआ और 1955 में किसके आदेश पर ग्राम सभा की बंजर भूमि को समिति में डाला गया इसकी जांच की और जरूरी अभिलेख जुटाने की कोशिश में जुटी रही। एक टीम लोढ़ी स्थित कलेक्ट्रेट पहुंचकर सहकारिता विभाग की फाइलों को खंगाला।

नरसंहार मामले में हुई प्रारंभिक जांच के आधार पर पता चला कि जिस आदर्श कृषि सहकारी समिति की भूमि के लिए इतना बड़ा विवाद हुआ और नरसंहार तक मामला पहुंचा वह समिति ही गलत बनायी गई थी। ऐसे में समिति की 1135 बीघा जमीन बंजर घोषित करते हुए ग्रामीणों को पट्टा कर दी गई है। इधर, गठित विशेष जांच दल के सदस्य यह दस्तावेज इकठ्ठा करने में जुटे हैं कि आखिर इतना बड़ा खेल हुआ कैसे। किस-किस आधार पर समिति में ग्राम सभा की भूमि को डाला गया। सूत्रों की मानें तो एसआइटी ने मीरजापुर पहुंचकर वहां सहकारिता विभाग से पूराने रिकार्ड मांगे। जिसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि 1952 में जिस समय समिति का गठन किया गया उस समय समिति के सदस्य कौन-कौन थे, उनके हिस्से में कितनी-कितनी जमीन थी। जो जमीन थी वह उनके पास कहां से आई थी। इसके साथ 1955 में तत्कालीन तहसीलदार ने किस आधार पर ग्राम सभा की बंजर भूमि को समिति में डाल दिया। चूकि जनपद का सृजन चार मार्च 1989 को हुआ यानी उसके पहले का जो भी रिकार्ड है वह मीरजापुर में ही है। इस लिए जांच टीम ने मीरजापुर सहकारिता विभाग में पहुंकर भी दस्तावेज खंगाला रही है। वहीं जनपद सृजन के बाद समिति की स्थिति, भूमि को व्यक्ति विशेष या समिति के सदस्यों के नाम करने के आदेश आदि दस्तावेज जिले के सहकारिता विभाग से एसआइटी लेने में जुटी है।

पहले की जांच में क्या चला है

17 जुलाई को हुए नरसंहार मामले में जब मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग रेणुका कुमार ने जांच की तो कई अहम बातें सामने आईं। पता चला कि पंजीकरण के समय समिति द्वारा ग्राम उम्भा में 727 बीघा और ग्राम सपही में 725 बीघा भूमि समिति के सदस्यों की दर्शायी गई थी, लेकिन इस संबंध में कोई शासकीय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। केवल गाटा संख्या एवं रकबे की हस्तलिखित सूची प्रस्तुत की गई थी। इसके साथ ही समिति द्वारा दर्शायी गई भूमि के संबंध में आधार वर्ष फसली सन 1359 (सन 1952 ई) की खतौनी से मिलान करने पर पता चला कि ग्राम उभ्भा की 641 बीघा और ग्राम सपही की 664 बीघा कुल 1305 बीघा बंजर खाते की जमीन है। यह ग्रामसभा की होती है राबट्रसगंज के तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण मालवीय ने 17 दिसंबर 1955 को पारित आदेश के अनुसार ग्राम उम्भा की बंजर खाते की कुल 258 गाटा रकबा 641 बीघा और ग्राम सपही की 123 गाटा रकबा 693 बीघा तीन बिस्वा जमीन आदर्श कृषि सहकारी समिति उम्भा व सपही के नाम दर्ज करने के आदेश दिए। उन्होंने किस आधार पर यह आदेश दिए इसकी भी जांच करायी जा रही है।

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