इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवाह गृहों (Marriage hall) में ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) पर सख्त रुख अपनाते हुए नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है। बार-बार नियम तोड़ने पर लाइसेंस निरस्त करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए। अधिक ध्वनि होने कार्रवाई की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल व न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने शिव वाटिका विवाह गृह व अन्य की याचिका पर दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि किसी विवाह गृह में अधिक ध्वनि होने पर यदि पुलिस को 100 नंबर पर शिकायत मिलती है तो पुलिस निर्देशों का पालन करे। हाई कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव से छह नवंबर को प्रगति रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि सुशील चंद्र श्रीवास्तव केस में दिए गए निर्देशों के तहत यदि कोई विवाह गृह ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का पालन नहीं करता तो पहली गलती पर एक लाख, दूसरी गलती पर पांच लाख व तीसरी गलती पर 10 लाख रुपये जुर्माना वसूला जाए। तीन गलती के बाद जिलाधिकारी विवाह गृह का लाइसेंस निरस्त कर दें।
कोर्ट ने कहा है कि बारात को विवाह गृह से अधिकतम 100 मीटर की दूरी पर एकत्र करके निकाला जाए। इसका पालन न करने पर विवाह गृह के मालिक से जुर्माना लिया जाए। हर विवाह गृह से एनसीटी नीति के अनुसार हलफनामा लिया जाय। कोर्ट ने प्रस्तावित बाइलॉज को लागू बाइलॉज के विपरीत होने के कारण अनुमोदित करने से इन्कार कर दिया है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बाइलॉज तैयार किया जाए। कानून के खिलाफ प्रयागराज शहर में तमाम विवाह गृह चल रहे हैं। जो शहरवासियों के लिए परेशानियों का सबब बने हैं।
कोर्ट ने कहा कि पीडीए ने भी माना कि विवाह गृह शहर की यातायात व्यवस्था के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। प्राधिकरण ने दो बाइलॉज पेश किया। कोर्ट ने कहा है कि मैरेज हॉल 1500 वर्ग गज में होने चाहिए। 18 मीटर चौड़ी सड़क पर 18 मीटर फ्रंटेज होना चाहिए। साथ ही 30 प्रतिशत कवर एरिया व 40 प्रतिशत ओपन एरिया होना चाहिए। वहां वाहन पार्किंग की व्यवस्था हो। कोर्ट ने शहर का मास्टर प्लान व जोनल प्लान पर भी विचार किया। कहा कि केवल सिविल लाइंस में ही जोनल प्लान तैयार हुआ है, लेकिन पूरे शहर का जोनल प्लान अभी तक तैयार नहीं किया जा सका।