पाकिस्तान में जम्मू कश्मीर को लेकर राजनीति चरम पर है। ईद के दिन पाकिस्तानी नेताओं के बीच इसको लेकर ही राजनीति चलती रही। गुलाम कश्मीर के मुजफ्फराबाद में इसको लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने जो ताजा बयान दिया है उससे उनका डर साफतौर पर जाहिर हो गया है कि उनका मुकाबला किसके साथ है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोग इस गलतफहमी में न रहे कि यूएन में उनके लिए कोई हार लेकर नहीं खड़ा है, जो हम वहां जाएंगे और वो हमारे हक में वह कुछ कह देंगे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जिन मुल्कों को वह अपना सहयोगी मानते हैं, जिनमें कई इस्लामिक देश भी शामिल हैं, के भारत से अपने हित हैं। वह उन हितों को छोड़कर भारत के खिलाफ जाएंगे यह मुश्किल है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के भी निजी हित भारत से हैं और उन्होंने वहां पर अरबों का निवेश किया हुआ है। ऐसे में वह पाकिस्तान का साथ देंगे यह बेहद मुश्किल है। कुरैशी का ये भी कहना था कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत बहुत बड़ी और मजबूत अर्थव्यवस्था है। वहां के बाजार पर सभी देशों की निगाह है। यही वजह है कि वहां पर दुनिया के बड़े देशों और इस्लामिक देशों ने खरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है।
इमरान आएंगे मुजफ्फराबाद
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कुरैशी का डर कहीं न कहीं इस लिए भी है क्योंकि कई देशों ने भारत के कदम की न सिर्फ सराहना की है बल्कि यहां तक कहा है कि यह भारत का अंदरुणी मामला है, इससे किसी भी अन्य देश का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। आपको बता दें कि ईद के मौके पर कुरैशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया था। इसमें उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री इमरान खान 14 अगस्त को मुजफ्फराबाद का दौरा करने वाले हैं। इस दौरान वह वहां पर विधानसभा को भी संबोधित करेंगे। इस मौके पर उन्होंने फिर जम्मू कश्मीर में जेहाद की राह पर चल रहे लोगों का साथ देने की बात भी कही। यूएन में उनके प्रस्ताव का क्या हाल होगा इसको जानते हुए भी उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे को उठाएगा और भारत के खिलाफ आवाज उठाएगा। इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्तमान में दोनों देश न्यूक्लियर पावर हैं। ऐसे में दोनों ही देश लड़ाई का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे। न ही दुनिया इस तरह का जोखिम उठाने के लिए तैयार है। लिहाजा लड़ाई का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
अपनों का ही नहीं मिला साथ
कुरैशी के यह दोनों बयान पाकिस्तान की सुर्खियां बने हुए हैं। बहरहाल, इसका सीधा सा अर्थ ये निकाला जा सकता है कि पाकिस्तान इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है उनके साथ संयुक्त राष्ट्र में उनके साथ क्या होने वाला है। हालांकि इस बात को कुरैशी ही नहीं वहां के सभी राजनेता अच्छी तरह से जानते हैं। इसको यूं भी समझा जा सकता है कि भारत सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामिक देशों समेत अमेरिका, चीन, यूएन तक के राष्ट्राध्यक्षों को फोन कर अपना रोना राया। लेकिन, उन्हें किसी का साथ नहीं मिला।यह बात हम नहीं बल्कि देश के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने खुद संसद के संयुक्त सत्र में कही। उनका कहना था कि इमरान खान के इन देशों को फोन करने के बाद इस्लामिक देशों ने और अमेरिका ने उनके समर्थन में एक शब्द नहीं बोला।
विरोध कर रहे भारतीय नेताओं पर दांव
हकीकत को जानने के बाद भी कुरैशी समेत सभी पाकिस्तानी नेता जम्मू कश्मीर पर भारत में जम्मू कश्मीर पर हुए फैसले का विरोध कर रहे नेताओं के बयानों को भुनाने की कोशिश करने में लगे हैं। कुरैशी ने अपने एक बयान में कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का दावा और पुख्ता इसलिए हो गया है क्योंकि भारतीय नेताओं ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ बयान दिया है। इस संबंध में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का जिक्र भी किया। उन्होंने थरूर के हवाले से कहा कि सरकार ने जम्मू कश्मीर पर फैसला कर भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। इसके अलावा पूर्व में जम्मू कश्मीर पर हुए समझौतों को भी नकारा है। कुरैशी का कहना था कि भारत सरकार के फैसले को सिर्फ पाकिस्तान ही गलत नहीं ठहरा रहा है बल्कि भारतीय राजनेता भी इसको गलत करार दे रहे हैं।