गाँधी जयन्ती पर विशेष लेख:
ग़ुलामी के बन्धन से बरी होने की होड़ ने भी जिन्हें अहिंसा से अडिग रखा.. देशप्रेम की आहुतियों में निरन्तर जलते रहने पर भी जिन्होंने अपनी मर्यादा और सत्यता को तनिक भी विचलित न होने दिया.. जिन्होंने इस भारतखण्ड को अपना कुटुम्ब मान कर स्वतन्त्रता की डगर में आने वाली हर किलष्ठता को मुस्कुराते मुस्कुराते सहा, उस महात्मा को मेरा बारम्बार प्रणाम है
लाखों तर्कों वितर्कों के बावज़ूद भी जो विभूति आज सम्पूर्ण सिन्धु में देवताओं की भाँति वन्दनीय है, उस विभूति को मेरा बारम्बार प्रणाम है
सुनो.. किसी मज़बूरी का नाम नही है.. ‘गाँधी’
हमारे राष्ट्र के कीर्तिमान गौरव की एक अनूठी, अनुपम और सादगी की ज़ागीर है.. ‘गाँधी’
गाँधी सत्य का एक रूप हैं, और सत्य सदैव साश्वत होता है, वह कभी नही मरता..
वह हमारी आँखों से ओझल तो हो सकता है परन्तु सहिष्णुता की प्रत्येक इकाई में सदैव विद्यमान है..
संवैधानिक हों या राजनैतिक.. सन्दर्भ कोई भी हो, देश की हर पद्धति को आपकी कार्यशैली से ही प्रेरणा मिली है.
प्रयत्नों की डगमगाती डोरियों को पथप्रदर्शक की छवि के रूप में आप जैसे प्रणेता की आज भी ज़रूरत है..
✍ लखनवी शेखर