स्वच्छता की सबसे बड़ी दुश्मन पॉलिथीन है इसलिए हर किसी को पॉलिथीन का विरोध करना चाहिए। प्लास्टिक कैरी बैग में समान रखने से खाद्य सामग्री प्रदूषित हो जाती है और उससे कैंसर जैसे रोग होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए हर किसी को अपने स्वास्थ्य को ध्यान रखते हुए प्लास्टिक कैरी बैग का बहिष्कार करना चाहिए। उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोहिया पथ 1090 चौराहे पर आयोजित स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते हुए कहीं।
महात्मा गांधी के बलिदान को याद करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, आज दुनिया यह जानती है महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से ही विदेशी हुकूमत को भारत छोड़कर भागना पड़ा था। मुख्यमंत्री ने हर किसी को प्लास्टिक का विरोध करने और स्वच्छता अभियान में सहयोग करने का संकल्प दिलाया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने हजरतगंज में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाया और फिर वहां से पैदल चलकर सफाई अभियान में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने खुद भी सफाई की सिविल अस्पताल के सामने एक अपार्टमेंट की दुकान की सीढ़ियों के नीचे गंदगी मिलने पर वहां 15 मिनट तक रहें और अपने सामने सफाई करने के बाद ही हटे।
गांधी जयंती पर शहर के हर मुहल्ले को चमकाने के लिए सुबह से सांसद और विधायक के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ भी सड़क पर उतरे। मुख्यमंत्री, अन्य मंत्री और भाजपा के प्रदेश भर से आए विधायकों ने पूरे शहर में घूमघूमकर सफाई की।हर वार्ड में तीन से चार विधायकों की ड्यूटी लगाई गई थी। हर वार्ड में मार्च भी निकाला गया। इस मार्च के दौरान पॉलीथिन और प्लास्टिक को जमा किया गया और झाड़ू लगाई गई। पार्क रोड पर मुख्यमंत्री ने सफाई करवाई। वहीं राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव ने भाजपा नेता कौशल किशोर के साथ शास्त्री नगर क्षेत्र में सफाई अभियान चलाया।
फैजुल्लागंज तृतीय वार्ड में विधायक डॉ नीरज बोरा और पार्षद अमित मौर्य ने कार्यकर्ताओं के साथ झाड़ू लगाई और कूड़ा उठाया। वहीं अलीगंज में विधायक पंकज गुप्ता पूर्व मंत्री अनुपमा जायसवाल और पार्षद राघवराम तिवारी ने सफाई करवाई।
गांधी जयंती पर सफाई अभियान चलाने से ही शहर चमकने वाला नहीं है। हकीकत में शहर को साफ रखने की बड़ी कार्ययोजना बनानी होगी। शहर स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में पिछले साल के मुकाबले छह पायदान से फिसलकर 121वें स्थान पर पहुंचा था। इससे पूर्व 2018 में शहर 115वीं रैंक पर था। यह हाल शहर का तब था जब नंबर वन आने के दावे मंत्री से लेकर अधिकारियों ने किए थे। स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जो पानी की तरह बह गए थे।
दरअसल शहर के 5.59 लाख भवनों से दो लाख भवनों से ही कूड़ा एकत्र हो पा रहा है और वह भी बिना छंटाई के। शहर की सफाई व्यवस्था की हकीकत भी किसी से छिपी नहीं है। करीब दो अरब खर्च होने के बाद भी शहर के कई मुहल्लों में सफाई नहीं हो पा रही है। इसमें 55 करोड़ तो ठेकेदारों को सफाई कराने के लिए मिलता है। पर्याप्त कूड़ाघर न होने से सड़कों पर दिन भर गंदगी का नजारा रहता है। खास बात यह है कि सड़कों पर बह रहा सीवर ही स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता है। पुराने शहर में सीवर लाइन जगह-जगह चोक है और नालियों में सीवर को बहाया जा रहा है।