गंगा सम्मेलन में आएंगे प्रधानमंत्री, देंगे गोमुख से गंगासागर तक ‘पवित्र गंगा’ का मंत्र

 उत्तराखंड में गोमुख से लेकर पश्चिम बंगाल के गंगासागर तक गंगा की निर्मलता कायम रहे। यह मंत्र देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर आने वाले हैं। प्रधानमंत्री आइआइटी में अगस्त के अंत या सितंबर के प्रारंभ में होने वाले एक दिवसीय गंगा सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस आयोजन में गंगा से संबंधित उत्तर प्रदेश समेत चारों प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल रहेंगे।

प्रशासन ने प्रधानमंत्री के आगमन पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शहरी विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित होने वाले इस समारोह में गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर व्यापक मंथन किया जाएगा। प्रयागराज से हल्दिया तक गंगा में बने राष्ट्रीय जलमार्ग की जरूरतों पर भी चिंतन किया जाएगा। गंगा का प्रवाह उत्तराखंड राज्य की गंगोत्री से आरंभ होता है और वह हरिद्वार के बाद उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करती हैं। यहां से होते हुए बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में गंगासागर तक जाती हैं।

इसलिए इस आयोजन में अतिथि राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमंत्रित हैं। सम्मेलन में विश्व की पांचवीं सबसे प्रदूषित नदी गंगा में प्रदूषण को रोकने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा। जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने आयोजन की तैयारी को लेकर मंगलवार को आइआइटी परिसर का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने सम्मेलन के प्रस्तावित स्थल से लेकर सेफ हाउस तक के स्थानों का निरीक्षण किया।

गंगा नदी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

– अन्य नदियों की तुलना में गंगा का ऑक्सीजन लेवल 25 फीसद ज्यादा।

– गंगाजल कभी सड़ता नहीं, बैक्टीरियारोधी शक्ति से युक्त।

– गंगा के पानी में मच्छर पैदा नहीं हो सकते।

– बंगाल की खाड़ी सुंदरवन में गिरती हैं गंगा।

– दस लाख वर्ग किलोमीटर सिंचित क्षेत्र

– प्रयागराज से हल्दिया के बीच 1600 किमी. राष्ट्रीय जलमार्ग।

– गंगा नदी दुनिया की पांचवी सबसे दूषित नदी।

– ब्रिटिश शोध के अनुसार गंगाजल में तीन घंटे में मर जाते हैं बैक्टीरिया।

– अन्य नदियों से 15 से 25 गुना तेज कार्बनिक कचरे को विघटित करती है।

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