झांसी के मोंठ थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हमले के बाद मुठभेड़ में मारे गए अपराधी पुष्पेंद्र यादव के परिजनों के तमाम आरोपों को एडीजी प्रेम प्रकाश ने खारिज कर दिया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि मुठभेड़ में शामिल पुलिस टीम में धर्मेंद्र चौहान थे ही नहीं। वह टीम एसएसपी के आदेश पर अलग से बनाई गई थी। साथ ही कॉल डिटेल से सामने आया है कि जुलाई में थाने का प्रभार लेने के बाद पुष्पेंद्र व थाना प्रभारी के बीच सात बार बात हुई। इसमें से छह बार पुष्पेंद्र ने ही फोन किया था। थाना प्रभारी ने सिर्फ एक बार फोन मिलाया था। उन्होंने कहा कि परिजनों ने जो तहरीर दी है, उसे गुरसराय थाने की जीडी में दर्ज कराया गया है। मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
एडीजी के मुताबिक झांसी में शनिवार रात तकरीबन नौ बजे मोंठ थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान को बमरौली बाईपास तिराहा के पास बदमाशों ने फायरिंग कर घायल कर दिया था और उनकी कार लूट ले गए थे। इंस्पेक्टर को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। देर रात एरच के करगुवां निवासी विपिन गुप्ता, पुष्पेंद्र व रविंद्र के खिलाफ कातिलाना हमला, लूट आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
इसके बाद गुरसराय थाना क्षेत्र में रात तकरीबन 2:30 बजे पुलिस ने बदमाशों की कार को रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने पुलिस पर फायरिंग की और जवाब में पुलिस ने भी गालियां चलाईं, जो पुष्पेंद्र के सिर में जा लगी थी। उसके दोनों साथी फरार हो गए थे। पुलिस पुष्पेंद्र को अस्पताल लेकर पहुंची जहां उसकी मौत हो गई थी। अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने बताया कि 29 सितंबर को खनन का ट्रक पुलिस ने पकड़ा था, उसे छुड़ाने के लिए पुष्पेंद्र फोन करके थाना प्रभारी पर दबाव बना रहा था। इन्कार पर ही उसने इंस्पेक्टर पर हमला किया और बाद में मुठभेड़ में मारा गया।