मुस्लिम बुद्धिजीवियों के रुख से अलग जाकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले पर किसी भी तरह के समझौते से साफ इनकार कर दिया है। लखनऊ स्थित नदवा कॉलेज में शनिवार को आयोजित बोर्ड कार्यकारिणी की अहम बैठक के दौरान उम्मीद जताई गई कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद का फैसला मुसलमानों के पक्ष में आएगा। इसके साथ ही तीन तलाक पर बने कानून को शरीयत के खिलाफ माना गया और इसके खिलाफ कोर्ट में जाने का फैसला लिया गया।
दो दिन पहले ही लखनऊ में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अयोध्या मसले अपने विचार रखे थे। उस बैठक में हृदय रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. मंसूर हसन, पूर्व मंत्री मोइद अहमद, रिटायर्ड आइपीएस वीएन राय, लव भार्गव सहित कई ने अपने विचार रखे। ये सभी अयोध्या मसले का हल कोर्ट से बाहर चाहते हैं। उनका कहना था कि इससे दोनों पक्षों की जीत होगी। बुद्धिजीवियों ने कहा था कि यदि मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी जाते हैं तो उन्हें यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए।
इधर, इन विचारों से इत्तेफाक न रखते हुए मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक में अयोध्या मसले में समझौते से इनकार कर दिया गया है। इस बैठक में समान नागरिक संहिता और तीन तलाक संबंधी कानून पर भी विस्तृत चर्चा हुई। बोर्ड ने कहा कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य समुदायों के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा करेगा।
मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महासचिव मौलाना वली रहमानी, उपाध्यक्ष फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत तमाम कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।