शाह ने कहा- मानवाधिकार को भारतीय संदर्भ में नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मानवाधिकार को भारतीय संदर्भ में नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत बताई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 26वें स्थापना दिवस के अवसर पर बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा कि मानवाधिकार को पुलिस ज्यादती और हिरासत में मौत के दायरे तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मूलभूत जरूरतों से जनता को महरूम रखना भी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

‘वैष्णव जन तो तेने कहिए..’

महात्मा गांधी को 150वीं जयंती पर याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनका एकभजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए..’ के एक-एक वाक्य का भावार्थ हम लोगों के सामने रखेंगे तो इससे बड़ा मानवाधिकार के लिए कोई चार्टर हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हम सब चाहते हैं कि गांधी जी के सिद्धांत को आज से संदर्भ में प्रासंगिक होकर सामने रखे जाएं क्योंकि वे शाश्वत और अटल हैं। शाह ने बताया कि किस तरह बच्चों, महिलाओं के मानवाधिकार हमारे देश और समाज में मानवाधिकार से संबंधित व्यवस्थाएं पहले से सन्निहित हैं। हमारी परिवार व्यवस्था के अंदर ही महिलाओं और बच्चों के अधिकार की बहुत सारी चीजें बिना कानून के सुरक्षित हैं।

हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम की भावना से सोचने वाला देश है

मानवाधिकार को भारतीय संदर्भ ने नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारा देश, हमारा समाज वर्षों से संकुचित सोच से ऊपर वसुधैव कुटुंबकम की भावना से सोचने वाला देश है। उन्होंने कहा कि ‘जब आप पूरे विश्व को अपना परिवार समझते हो तो वसुधैव कुटुंबकम के अंदर ही मानवाधिकार का दायित्व समाहित दिखाई पड़ता है।’

आम जनता को विकास से वंचित रखना मानवाधिकार का उल्लंघन है

अमित शाह के अनुसार मानवाधिकार सिर्फ पुलिस ज्यादती और हिरासत में मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता को विकास से वंचित रखना भी मानवाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कि आजादी के 70 साल तक देश में 5 करोड़ लोगों के पास घर नहीं था, 3.5 करोड़ लोगों के घर में बिजली नहीं थी, 50 करोड़ लोगों के पास स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं थी, महिलाओं को शौचालय उपलब्ध नहीं थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये इन लोगों के मानवाधिकार का हनन नहीं है। शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने करोड़ों लोगों तक इन सुविधाओं को पहुंचाकर एक अलग प्रकार से मानवाधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है और सफलता भी प्राप्त की है।

आतंकवाद और नक्सलवाद मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बड़ा कारक

अमित शाह ने पुलिस ज्यादती और हिरासत में मौत के प्रति जीरो टालरेंस की नीति का समर्थन करते हुए आंतकवाद और नक्सलवाद को मानवाधिकार के हनन का सबसे बड़ा कारक बताया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद की भेंट चढ़ गए करीब 40,000 से ज्यादा लोग के परिवार के मानवाधिकार की भी चिंता करनी होगी।

लंबित मामलों में कमी आई: NHRC के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 26वें स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू ने पिछले 26 सालों में आयोग की उपलब्धियां और आम जनता तक पहुंचने के लिए हाल में उठाए गए कदमों की जानकारी दी। जस्टिस दत्तू ने बताया कि आयोग के नए कदमों से लंबित मामलों में भारी कमी आई है और 99 फीसदी मामलों में सरकारों ने आयोग के निर्देशों का पालन किया है।

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