भारत के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के क्षेत्र में दिये जाने वाले यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार के लिए देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के 155 साल पुराने फ्लोरा फाउंटेन और दो अन्य विरासत स्थल सहित कुल चार स्थानों को भारत से चयनित किया गया है । इसकी घोषणा सोमवार को की गयी ।
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार की घोषणा मलेशिया के पेनांग में आयोजित एक समारोह में की गई । इस पुरस्कार के लिए जिन चार स्थानों का चयन किया गया है, उनमें अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान का विक्रम साराभाई पुस्तकालय शामिल है। इसके अलावा केनेसेठ इलियाहू सिनेगाग, ग्लोरी चर्च तथा फ्लोरा फाउंटेन को ये पुरस्कार मिला है। ये तीनों मुंबई में स्थित है।
गौरतलब है कि हाल ही में जयपुर के परकोटा क्षेत्र को विश्व विरासत का दर्जा देने वाला यूनेस्को अब पश्चिमी राजस्थान के चार जिलों में दस नए पर्यटक केंद्र विकसित करेगा। इन पर्यटक केंद्रों में पश्चिमी राजस्थान के चार जिलों जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर के हस्तशिल्प, लोक नृत्य व संगीत, रंगमंच आदि की प्राचीन विरासत देखी जा सकेगी। बता दें कि राजस्थान सरकार और यूनेस्को ने इसके लिए एक समझौता किया है। राजस्थान की प्रमुख पर्यटन सचिव श्रेया गुहा और यूनेस्को के कंट्री डायरेक्टर एरिक फॉल्ट ने इस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत यूनेस्को 42 महीने तक जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर में एक विशेष पर्यटन सर्किट तैयार करने का काम करेगा।
जानें- क्या होता है विश्व धरोहर स्थल
विश्व धरोहर या विरासत सांस्कृतिक महत्व और प्राकृतिक महत्व के स्थल होते हैं। यह वह स्थल होते हैं जो ऐतिहासिक और पर्यावरण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होते हैं। इनका अंतरराष्ट्रीय महत्व होता और इन्हें बचाए रखने के लिए खास कदम उठाए जाने की जरूरत होती है। ऐसे स्थलों को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है। कोई भी स्थल जिसे यूनेस्को समझता है कि यह मानवता के लिए जरूरी है। वहां का सांस्कृतिक और भौतिक महत्व है, उसे विश्व धरोहर के तौर पर मान्यता दी जाती है।