नगर से आंवला की ओर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर टीले पर मां का विशाल भव्य मंदिर स्थित है तथा ये अभिलेखों में गैर आबाद मई भवानीगंज के रकबे में दर्ज है। मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार बने हैं। प्राचीन ब्रह्मदेव अर्थात पीपल का वृक्ष भी मंदिर के इतिहास का साक्षी है। परिसर के मध्य में स्थित माता का मंदिर है। पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न मूर्तियों के रूप में साक्षात महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के रूप में विराजमान हैं, जो श्रध्दालुओं की मनोकामना पूर्ण करती है। मंदिर पर प्रत्येक सोमवार को श्रध्दालुओं का तांता लगता है। पुजारी ने बताया कि माता रानी के दरबार में बहुत दूर-दूर से हजारों भक्तगण आते हैं। जिनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं वे माता रानी को चुनरी और नारियल चढ़ाते है। श्रध्दालु बरी बाबा के दर्शन करते हैं। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है।
ऑनलाइन ब्लाॅक रिपोर्टर
शिवम कुमार
बदायूं