दीपावली का पांच दिनों का त्योहार धनतेरस या धन त्रयोदशी से शुरू होता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस होता है, जो इस वर्ष शुक्रवार 25 अक्टूबर को है। धनतेरस के दिन धनवन्तरि देव की पूजा की जाती है। इन्हें देवताओं का वैद्य कहा जाता है। धनतेरस को धनवन्तरि देव की पूजा से निरोगी जीवन का वरदान मिलता है। धनवन्तरि देव को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
इस वजह से मनाते हैं धनतेरस
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवन्तरि, चतुर्दशी को मां काली और अमावस्या को लक्ष्मी माता सागर से उत्पन्न हुई थीं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनवन्तरि का जन्म माना जाता है, इसलिए धनवन्तरि के जन्मदिवस के उपलक्ष में धनतेरस मनाया जाता है।
धनतेरस को हुआ आयुर्वेद का प्रादुर्भाव
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय धनवन्तरि ने संसार को अमृत प्रदान किया था। उन्होंने ही धनतेरस के दिन आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था, जिससे आज भी मानव जाति का कल्याण हो रहा है और वे निरोगी काया प्राप्त कर रहे हैं।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त
दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस होता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 25 अक्टूबर को दिन में 04:32 PM से प्रारंभ हो रही है, जो अगले दिन 26 अक्टूबर को दिन में 02:08 PM तक रहेगी। ऐसे में धनतेरस 25 अक्टूबर को होगा।
धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त 04:32 PM से रात्रि तक है। आप चाहें तो 26 अक्टूबर को 02:08 PM तक धनतेरस की खरीदारी कर सकते हैं। धनतेरस के दिन सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी में यमराज को दीपदान किया जाता है।
धनतेरस के दिन लोग सोने या चांदी के आभूषण और सिक्के, बर्तन, खील-बताशे, मिट्टी के दीपक, मोमबत्तियां आदि खरीदते हैं। कई स्थानों पर धनतेरस के दिन ही दीपावली की पूजा के लिए गणेश जी और मां लक्ष्मी की मूर्तियां या तस्वीर भी खरीदे जाते हैं।