1857 में छिड़े स्वाधीनता संग्राम की चिंगारी अवध में दस्तक दे चुकी थी। 1905 में लॉर्ड कर्जन बंगाल विभाजन के नाम पर आंदोलन को कमजोर करना चाह रहे थे कि उसी समय कालीचरण विद्यालय की नींव रखी गई।
प्राथमिक विद्यालय से महाविद्यालय तक के सफर के बीच मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से लेकर साहित्यकार अमृतलाल नागर, इतिहासकार पद्मश्री प्रो. बैजनाथ पुरी ने यहीं से शिक्षा ग्रहण कर विद्यालय के साथ ही देश में अपनी एक अलग पहचान बनायी। इनके अलावा डॉ वीके टंडन, न्यायमूर्ति यूके धवन, सेवानिवृत्त आइएएस जीडी मेहरोत्र और 2002 के पीसीएस टॉपर आनंद शुक्ला एवं 1975 में यूपी बोर्ड के टॉपर अतुल टंडन, लखनऊ विवि के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. एमपी सिंह और खेल के क्षेत्र में पूर्व रणजी खिलाड़ी नीरू कपूर ने यहीं से शिक्षा ग्रहण की। महाविद्यालय के 113वें स्थापना दिवस के मौके पर बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा नवनिर्मित शताब्दी भवन का लोकार्पण किया।
1906 में खुला प्राथमिक विद्यालय
राष्ट्रवादी समुदाय की ओर से 1906 में प्राथमिक पाठशाला की स्थापना की गई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य और राजधानी के उदीयमान पत्रकार बाबू गंगाप्रसाद वर्मा और अंग्रेजों के द्वारा नवाब वाजिद अली शाह के साथ कलकत्ता से निर्वासित लाला कालीचरण का स्थापना में विशेष योगदान है। 22 जून 1912 को कालीचरण विद्यालय ट्रस्ट बना और लखनऊ के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर एबी फ्लोर्ड की अध्यक्षता में 26 जून 1912 को पहली बैठक हुई। ट्रस्ट में चार सदस्य बाबू गंगाप्रसाद वर्मा, पत्रकार बाबू केदारनाथ, प्रसिद्ध समाजसेवी पंडित गोकरन नाथ मिश्र व अधिवक्ता बाबू हरीकृष्ण धवन थे। बैठक में विद्यालय का नाम लाला कालीचरण के नाम पर सहमति बनी। आठ जुलाई 1913 को शिक्षण संस्था कालीचरण हाईस्कूल विद्यालय के रूप में अस्तित्व में आई। वर्तमान में 2500 छात्र/छात्रएं प्राथमिक एवं इंटर कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
1973 में हुई महाविद्यालय की स्थापना
कालीचरण डिग्री कॉलेज की शुरुआत छह दिसम्बर 1973 को प्राथमिक कक्षा के भवन (यह भवन अब भी है जिसमें डिग्री कालेज का कला संकाय संचालित है। इसी भवन में लालजी टंडन ने कक्षा एक से पांच तक अध्ययन किया था) सत्र 1992-93 में बीकाम की कक्षा शुरू हुई। 2005-06 में सांध्यकालीन कक्षाओं की शुरुआत हुई। इस साल एमए समाजशास्त्र एवं एमकाम की भी शुरुआत हुई।