UP PF Scam उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों के भविष्य निधि घोटाले की जांच में ईओडब्ल्यू ने गति बढ़ा दी है। पावर कारपोरेशन के मुख्यालय में सोमवार को पड़ताल के बाद मंगलवार को ईओडब्ल्यू ने पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्र (एपी मिश्रा) को हिरासत में लिया है। पीएफ घोटाले में पावर कारपोरेशन के पूर्व एमडी एपी मिश्रा से ईओडब्ल्यू पूछताछ कर रही है। इनकी भूमिका की जांच के बाद अब गिरफ्तारी भी हो सकती है।
ईओडब्ल्यू की टीम डीआइजी हीरालाल के नेतृत्व में मंगलवार को अलीगंज में एपी मिश्रा के आवास पर पहुंची। इसके बाद हजरतगंज थाने की पुलिस ने उनको घर से गाड़ी में बैठाया। एपी मिश्रा से पुलिस अफसर अज्ञात स्थान पर पूछताछ कर रहे हैं। ईओडब्ल्यू के के अफसर भी एपी मिश्रा से पूछताछ करने पहुंच रहे हैं। यूपी सरकार ने इस घोटाला की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
दिसम्बर, 2016 में ट्रस्ट के सचिव महाप्रबन्धक प्रवीण कुमार गुप्ता के प्रस्ताव पर तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी एवं तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा के अनुमोदित करने के बाद उपरान्त जीपीएफ व सीपीएफ धनराशि को पीएनबी हाउसिंग की सावधि जमा में निवेश करना प्रारम्भ किया गया। इसके बाद प्रवीण कुमार गुप्ता एवं तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी द्वारा माह 2017 से बिना प्रबन्ध निदेशक/अध्यक्ष के संज्ञान में लाए जीपीएफ व सीपीएफ धनराशि को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लि नामक निजी संस्था में सावधि जमा के रूप में निवेश प्रारम्भ किया।
सीबीआइ जांच की सिफारिश करने के साथ ही आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) अपनी जांच के कदम तेजी से बढ़ा रही है। इसके बाद डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने इस बड़े घोटाले की विवेचना के लिए डीआइजी हीरालाल व एसपी शकीलुज्जमा के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम गठित की है।
अखिलेश यादव के बेहद खास, लिखी थी किताब
एपी मिश्रा अखिलेश यादव के बेहद खास थे। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में इनको सेवानिवृत होने के बाद भी नियम विरुद्ध तीन बार एक्सटेंशन मिला था। पूर्व एमडी एपी मिश्रा को राजनीतिक रसूख वाला अधिकारी और अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। पूर्व एमडी एपी मिश्रा ने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी। जिसका सीएम के सरकारी आवास, 5 केडी में विमोचन किया था। इन्हें मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का करीबी बताया जाता है। 2012 में अखिलेश सरकार बनते ही किसी आईएएस की जगह एक इंजीनियर एपी मिश्रा को यूपीपीसीएल का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। पूर्वांचल व मध्यांचल के भी एमडी रहे। उन्हें रिटायर होने के बाद तीन बार सेवा विस्तार भी मिला था। आरोप है कि 17 मार्च 2017 में जब योगी सरकार का शपथ ग्रहण नहीं हुआ था तभी आनन-फानन में एपी मिश्र के कहने पर ही डीएचएफएल में निवेश की पहली क़िस्त जारी कर दी गई थी। प्रदेश में 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यभार संभालने के बाद एपी मिश्रा ने 22 मार्च 2017 को इस्तीफा दे दिया था। बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा भ्रष्टाचार में लगाने के घोटाले में करीब ढाई हजार करोड़ की गड़बड़ी का आरोप है।
नियम विरुद्ध सावधि जमा
उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा कार्मिकों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि को निजी संस्था में नियम विरुद्ध सावधि जमा करने वाले तत्कालीन सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता एवं तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी के विरुद्ध लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद दोनों अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
DHFCL संस्था अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में नहीं
प्रवीण कुमार गुप्ता सीपीएफ ट्रस्ट एवं जीपीएफ ट्रस्ट, दोनों का कार्यभार देख रहे थे। उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 02 मार्च, 2015 के स्पष्ट दिशा निर्देशों के विपरीत दुराशयपूर्वक, समग्र विनियोजन के 50 प्रतिशत से अधिक की धनराशि को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लि नामक निजी संस्था की सावधि जमा में विनियोजित किया। वह जानते थे कि संस्था अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में नहीं आती है और एक असुरक्षित निजी संस्था है। ट्रस्ट कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार कार्मिकों के सामान्य भविष्य निधि की 2631.20 करोड़ रुपए की धनराशि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड में निवेशित की गई, जिसमें से 1185.50 करोड़ रुपए ट्रस्ट कार्यालय को प्राप्त हो चुके हैं तथा 1445.70 करोड़ रुपए की प्राप्ति अभी भी लम्बित है। इसी प्रकार कार्मिकों के अंशदायी भविष्य निधि की 1491.50 करोड़ रुपए की धनराशि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लि0 में निवेशित की गई, जिसमें से 669.30 करोड़ रुपए ट्रस्ट कार्यालय को प्राप्त हो चुके हैं एवं 822.20 करोड़ रुपए प्राप्त होना अभी भी लम्बित है। इस प्रकार 2267.90 करोड़ रुपए (मूलधन) दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लि से प्राप्त किया जाना लम्बित है।