उमेश पाल अपहरण कांड के मुकदमे में अतीक अहमद को सजा सुनाने वाले एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डा. दिनेश चंद्र शुक्ला की सुरक्षा में बढ़ोतरी कर दी गई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मुकदमों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश की सुरक्षा पर हमेशा से ही खास ध्यान दिया जाता रहा है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा में वृद्धि उमेश पाल की हत्या के बाद ही कर दी गई थी। सुरक्षा में पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं। वाई श्रेणी से दोगुनी पुलिस फोर्स अदालत से लेकर न्यायाधीश के साथ रहती है। न्यायाधीश की सुरक्षा में गाड़ी के आगे और पीछे एक-एक सरकारी जिप्सी भी रहती है।
शाइस्ता की अग्रिम जमानत पर सुनवाई एक अप्रैल को
उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता परवीन की अग्रिम जमानत और उसके दोनों नाबालिग बेटों के मामले में दाखिल अर्जी पर बुधवार को सुनवाई नही हो सकी। अब यह सुनवाई एक अप्रैल को होगी। बुधवार को अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने की वजह से दोनों ही मामलों में सुनवाई नहीं हो सकी। ऐसे में दोनों केस में सुनवाई के लिए तिथि आगे बढ़ा दी गई। शाइस्ता ने अपने दोनों नाबालिग बेटों को पुलिस द्वारा उठाए जाने के मामले में सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने शाइस्ता के अधिवक्ताओं को भौतिक सत्यापन के लिए कहा है। भौतिक सत्यापन के बाद वह अपनी रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट को देंगे। इसके अलावा उमेश पाल हत्याकांड में नामजद आरोपित शाइस्ता ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है। इसमें भी एक अप्रैल को सुनवाई होगी।
अतीक पहला अपराधी, जिसे सजा सुनाने के बाद भेजा दूर
अतीक अहमद पहला ऐसा अपराधी है जिसे सजा सुनाने के बाद 1300 किमी दूर भेजा गया। उमेश पाल अपहरण कांड में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया तो अतीक न्यायालय में मौजूद रहा। इसके बाद उसे साबरमती (गुजरात) जेल भेजा गया। उसे एक दिन पहले ही पुलिस सुरक्षा में गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया था। बताया जा रहा है कि यह देश का पहला ऐसे अपराधी है जिसे पेशी के लिए 1300 किलोमीटर लाया गया और कोर्ट से फैसला सुनाए जाने के बाद उतनी ही दूरी तय कर साबरमती जेल वापस प्रिजन वैन से भेजा गया।