राजधानी के एक केडेवर (ब्रेन डेड ) व्यक्ति ने मरते-मरते एक अनोखी मिसाल पेश की है। उसने पांच लोगों के अंगदान कर उनके जीवन को रोशनी दी है। दरअसल, एक हादसे के बाद युवक के ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया था। इसपर परिवार की काउंसिलिंग कर मृतक की पत्नी की सहमति पर डॉक्टरों ने अंगदान की तैयारी शुरू की। मंगलवार को केजीएमयू के डॉक्टरों की टीम ने केडेवर (ब्रेन डेड व्यक्ति) का सफल लिवर प्रत्यारोपण किया, जबकि इसी व्यक्ति की दो किडनियां पीजीआइ में मरीजों को ट्रांसप्लांट की गईं। इसके साथ ही इनकी दोनों कार्निया से दो लोगों की आंखों की रोशनी भी लौटी।
ब्रेन ने काम करना कर दिया था बंद
डालीगंज निवासी रवि (30) 16 अगस्त को मलिहाबाद में दुर्घटना का शिकार हो गए थे। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में उन्हें ले जाया गया, मगर बेड न मिलने से उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनके ब्रेन का ऑपरेशन किया, मगर रवि इसके बाद होश में नहीं आए। बाद में परिवारीजन ने उन्हें केजीएमयू में भर्ती कराया। यहां रवि को वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया गया। इलेक्ट्रोग्राफी में पता चला कि उनके ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया है। 18 व 19 अगस्त को उनके दो ऑप्निया टेस्ट हुए, जिनमें उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
रवि के परिवारीजन की काउंसिलिंग
इस पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग की टीम ने उनके परिवारीजन की काउंसिलिंग की। पिता रामकिशोर, मां मीना व पत्नी रेखा की सहमति पर डॉक्टरों ने अंगदान की तैयारी शुरू की। परिवारीजन ने रवि का लिवर, दो किडनियों और दो कार्निया दान कर पांच लोगों को नई जिंदगी दी।
रात दस बजे शुरू हुआ ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन
केजीएमयू की प्रवक्ता डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक सोमवार रात 10 बजे से लिवर प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई। गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में भर्ती लखीमपुर खीरी निवासी 43 वर्षीय सुबोध सिन्हा में लिवर प्रत्यारोपण हुआ। डॉक्टरों ने ब्रेन डेड मरीज रवि का लिवर निकालकर सुबोध के शरीर में ट्रांसप्लांट किया।
13 घंटे चला ऑपरेशन
प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक मंगलवार सुबह करीब 11 बजे तक प्रत्यारोपण के लिए ऑपरेशन चला। कुल 13 घंटे ऑपरेशन प्रक्रिया चली। प्रत्यारोपण के बाद मरीज सुबोध सिन्हा को आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। प्रत्यारोपण केजीएमयू व दिल्ली के डॉक्टरों की टीम ने किया। ब्रेन डेड रवि की दोनों किडनियां पीजीआइ भेज दी गईं, जहां इन किडनियों का भी दो लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया।
केडेवरिक दूसरा, कुल पांच ट्रांसप्लांट
रवि के अंगदान से पांच लोगों को जीवन दान मिला। वहीं, केजीएमयू में यह पांचवां लिवर प्रत्यारोपण था, जबकि केडेवरिक दूसरा था।
दिल के अमीर निकले गरीब परिवारीजन
रवि की पत्नी रेखा व छोटे भाई आकाश ने बताया कि जब डॉक्टरों ने हमें समझाया कि अंगदान करने से किसी और को नई जिंदगी मिलेगी तो हम राजी हो गए। कम से किसी और के रूप में ही सही वो जीवित तो रहेंगे।