उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के मुख्य द्वार से होरिजेंटल ड्रिलिंग के साथ ही पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग भी जल्द शुरू करने में जुटे विशेषज्ञों की टीम हर पहलू पर मंथन कर रही है।
वर्टिकल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी संभाल रही सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) के विशेषज्ञों की टीम ड्रिलिंग के बाद श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षा मानकों को लेकर भी कार्ययोजना तैयार कर रही है।
भीतर की चट्टानें हैं कमजोर
विशेषज्ञों ने बताया कि पहाड़ी के भीतर चट्टान की मजबूती पर ही ड्रिलिंग का समय और सुरक्षा उपाय निर्भर करेंगे। एसजेवीएनएल के विशेषज्ञों ने बताया कि सिलक्यारा की पहाड़ी के भीतर की चट्टानें कम मजबूत प्रतीत हो रही हैं। ऐसे में वर्टिकल ड्रिलिंग में कम समय लगने का अनुमान है, लेकिन ऐसी पहाड़ी पर सुरक्षा उपायों की अधिक आवश्यकता होती है।
स्टील केसिंग के जरिये निकासी का प्लान तैयार
पहाड़ियों के कमजोर होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए स्टील केसिंग के जरिये निकासी सुरंग मजबूत बनाई जाएगी ताकि, एनडीआरएफ समेत अन्य रेस्क्यू टीम के सदस्य सुरक्षित ढंग से सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकाल सकें। निकासी सुरंग को सेफ पैसेज के रूप में तैयार करने के लिए एसजेवीएनएल ने एनडीआरएफ की टीम के साथ बैठक कर चर्चा की। इसमें आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न सुरक्षा उपायों और आशंकाओं को लेकर तैयारी करने पर भी विचार विमर्श किया गया।
2015 में हिमाचल में भी ऐसे ही हुआ था रेस्क्यू
हिमाचल प्रदेश में मजबूत चट्टानों में ड्रिलिंग पर लगा अधिक समय एसजेवीएनएल के कार्यकारी निदेशक राकेश सहगल ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग में पहाड़ी के भीतर चट्टान की स्थित पर बहुत कुछ निर्भर करता है। वर्ष 2015 में हिमाचल के बिलासपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग में भूस्खलन के दौरान एसजेवीएनएल ने वर्टिकल ड्रिलिंग कर तीन श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकाला था।
इस दौरान पहाड़ी के भीतर काफी मजबूत चट्टानें मौजूद थीं। ऐसे में 65 मीटर लंबी ड्रिलिंग में करीब दो सप्ताह का समय लग गया था, लेकिन मजबूत चट्टान होने के कारण निकासी सुरंग भी मजबूत बनी थी और आसानी से श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया था।
हर समय रहना होगा तैयार
वहीं, उत्तरकाशी के सिलक्यारा की पहाड़ी में चट्टानें कम मजबूत होने की आशंका है। जिससे यहां ड्रिलिंग में समय कम लगने की उम्मीद है, लेकिन यदि चट्टानें अधिक कमजोर निकलीं तो सुरक्षा उपाय बढ़ाने पड़ सकते हैं।