Good News : रेल कर्मियों को फ्री में ‘रेल नीर’ पिलाएगा रेलवे Gorakhpur News

अब रेलकर्मी और उनके परिजन आरओ और बाहर का नहीं, टोटियों का नीर पीएंगे। रेलवे की टोटियों में ही पीने का शुद्ध पानी आएगा। इसके लिए रेलवे कालोनियों में स्थित टंकियों में आटोमेटिक बायोलॉजिकल प्लांट लगाए जाएंगे। यह प्लांट न सिर्फ पानी में स्थित बैक्टिरिया को मारेगा, बल्कि कंप्यूटराइज्ड मशीनें शुद्धता की जांच करते हुए पानी के पीएच वैल्यू के मानक को भी निर्धारित करेंगी।

ऑटोमेटिक बायोलॉजिकल प्लांट लगाने की तैयारी

रेलवे प्रशासन ने ऑटोमेटिक बायोलॉजिकल प्लांट लगाने की तैयारी के क्रम में टेंडर आदि की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर के रेल कालोनियों में प्लांट लगाए जाएंगे। कालोनियों में स्थित कुल 18 में से 12 बड़ी पानी की टंकियों में प्लांट लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। द्वितीय चरण में गोरखपुर के अलावा स्टेशनों व जोनल कार्यालयों स्थित कालोनियों में भी कर्मचारियों और उनके परिजनों को यह सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

रेल कालोनियों के लोगों को मिलेगी राहत

रेलवे की इस नई व्यवस्था से कालोनियों में रहने वाले कर्मचारियों और उनके परिजन ही नहीं बल्कि आसपास के दफ्तरों में कार्य करने वाले कर्मियों को भी पीने का शुद्ध पानी मिलेगा। दरअसल, रेलवे कालोनियों में रहने वाले रेलकर्मी और उनके परिजनों को पानी तो मिलता है, लेकिन निर्धारित मानक के अनुसार पीने योग्य नहीं होता। पीने के पानी के लिए उन्हें अन्य विकल्पों के भरोसे रहना पड़ता है। अक्सर, प्रदूषित पानी के प्रयोग के चलते रेलकर्मी या उनके परिजन बीमार पड़ते रहते हैं। ऐसे में रेलवे की यह योजना राहत प्रदान करेगी।

रेलवे स्टेशनों पर लगाए जाएंगे ऑटोमेटिक क्लोरिनेशन प्लांट

रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भी टोटियों के माध्यम से यात्रियों को 24 घंटे पीने का शुद्ध पानी मिलेगा। पानी के नाम पर यात्री ठगे नहीं जाएंगे। उन्हें रेल नीर के लिए भागकर स्टालों पर नहीं जाना पड़ेगा। न ही वेंडिंग मशीनों पर लाइन लगानी पड़ेगी। सामान्य टोटियों में ही बिना पैसा खर्च किए पीने का शुद्ध पानी मिल जाएगा। प्रथम चरण में गोरखपुर जंक्शन स्थित नौ ट्यूबवेलों और पानी की चार बड़ी (दो एक लाख गैलन व दो 50 हजार गैलन क्षमता वाली) टंकियों में ऑटोमेटिक क्लोरिनेशन प्लांट लगाए जाएंगे। प्लांट लगाने का प्रस्ताव तैयार है। हालांकि, स्टेशनों की टोटियों से पीने योग्य पानी ही मिलता है। लेकिन मैनुअल क्लोरिनेशन के चलते पानी पूरी तरह शुद्ध नहीं हो पाता। क्लोरीन की मात्रा भी घटती-बढ़ती रहती है।

बैक्टिरियामुक्त होगा पानी

ऑटोमेटिक क्लोरिनेशन प्लांट लग जाने स्टेशन का पानी भी बैक्टिरियामुक्त हो जाएगा। साथ ही उसका पीएच वैल्यू भी दुरुस्त रहेगा। स्टेशन पर रोजाना औसत 40 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। कोचों में भी पानी भरा जाता है। सफाई और धुलाई आदि में भी उपयोग होता है।

प्लांट लग जाने से कालोनियों में पेयजल की शुद्धता को और बेहतर बनाया जा सकेगा। कर्मचारी और उनके परिजनों को टोटियों से भी पीने योग्य पानी मिलेगा। स्टेशनों पर भी यात्रियों को (पोटेबल) पीने योग्य पानी मुहैया कराया जा रहा है। – पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

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