रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां ने अपने विरुद्ध रामपुर में दर्ज 27 एफआइआर रद करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली है। हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति राजवीर सिंह की पीठ ने 29 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की है।
आजम खां पर जौहर विश्वविद्यालय रामपुर के पक्ष में दर्जनों किसानों की जमीन हड़पने का आरोप है। विपक्षी किसानों की तरफ से अधिवक्ता विजय गौतम व वीके मिश्र ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की। इनका कहना था कि 27 प्राथमिकियों को एक याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती। हर एफआइआर को अलग याचिका में चुनौती दी जानी चाहिए। याचिका पर आजम खां की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरण जैन, सैयद सफदर अली काजमी व कमरुल हसन सिद्दीकी ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि राजनीतिक विद्वेष के चलते उनके खिलाफ मामले दर्ज कराए गए हैं। याची की पत्नी डॉ. ताजीन फातिमा भी राज्यसभा सदस्य हैं।
याची का कहना है कि एमएलसी घनश्याम सिंह ने डीएम की शिकायत मुख्य चुनाव आयुक्त से की है। डीएम अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर करने में लगे हैं। याची की पत्नी ने भी मुख्य चुनाव अधिकारी से असुरक्षा के भय के चलते सुरक्षा की मांग की है। याची का कहना है कि विश्वविद्यालय 350 एकड़ में फैला है, सारी जमीन ट्रस्ट के नाम खरीदी गई है। आज उस विश्वविद्यालय में 3500 छात्र पढ़ रहे हैं। प्रशासन के इशारे पर 13 से 20 जुलाई 2019 जुलाई के बीच 26 प्राथमिकियां दर्ज कराई गई है। फिर तीन अगस्त को एफआइआर दर्ज की गई। याची के बेटे अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ भी शिकायत दर्ज है।
याचिका में राज्य सरकार के अलावा लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहीं जयाप्रदा, अनंजय कुमार डीएम, अजय पाल शर्मा एसएसपी, एसओ व राजस्व निरीक्षक को पक्षकार बनाया गया है। साथ ही 26 किसानों में यासीन अली, बड़े अली आदि भी पक्षकार बनाए गए हैं।