उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जयंती समारोह को अनोखे ढंग से मनाने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के जन सरोकार से जुड़े संकल्पों पर चर्चा करने के लिए विधानमंडल का विशेष सत्र आहूत किया जाएगा। इसमें 48 घंटे लगातार कुपोषण, शिक्षा, स्वच्छता, पेयजल व सर्वांगीण विकास जैसे मुद्दों पर सतत चर्चा होगी। सभी विधायकों को अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाने का मौका मिलेगा। ऐसा विशेष सत्र किसी राज्य की विधानसभा में पहली बार आहूत किया जा रहा है। शुक्रवार को सर्वदलीय नेताओं की बैठक में सत्र आहूत करने पर आम सहमति बनी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तिथि निर्धारित करने के लिए अधिकृत किया गया।
विधानभवन समिति के कक्ष में दोपहर साढ़े 11 बजे से विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित की अध्यक्षता में शुरु बैठक में नेता सदन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, नेता बसपा लालजी वर्मा, नेता कांग्रेस विधानमंडल दल अजय कुमार लल्लू, नेता अपना दल नीलरतन पटेल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर भी मौजूद थे। विपक्षी दलों ने समस्याओं पर चर्चा के साथ समाधान कराने पर भी जोर दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गांधी जी ने इस देश में सबसे निचले पायदान पर स्थित व्यक्ति के जीवन स्तर के सुधार का सपना देखा था। इस मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा देश को नया संदेश देगी। इसकी कार्यवाही की बुकलेट लोकसभा सहित सभी विधान सभाओं को भी प्रेषित की जाएगी।
बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष दीक्षित ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2015 में स्थायी विकास के 17 प्रस्ताव तय किए थे, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए है। इसमें स्वास्थ्य, कुपोषण, अशिक्षा, पेयजल संकट और सर्वांगीण विकास जैसे मसलों पर सभी विधायकों को चर्चा का मौका मिलेगा। उनका कहना था कि महात्मा गांधी का उप्र से विशेष जुड़ाव रहा है इसलिए उनकी जयंती पर यह ऐतिहासिक आयोजन करने पर सहमति बनी है।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि विधान सभा और विधान परिषद के इस विशेष सत्र में सभी विधायकों को अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दे एकत्रित करने के लिए कहा गया है ताकि उनको सदन में उठाया जा सकें। खन्ना के बताया कि दो दिन का सत्र दो अक्टूबर के आसपास होगा। तिथि की अंतिम घोषणा मुख्यमंत्री करेंगे। प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि देश के संसदीय इतिहास में इतनी लंबी अवधि का सत्र बिना विश्राम के किसी विधानसभा में नहीं चला है।