इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आधार कार्ड की सूचना को गोपनीय मानते हुए उसके विवरण की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह निजता अधिकार के अंतर्गत मूल अधिकार है, जिसे केवल दुरुपयोग के आरोप के आधार पर किसी को नहीं दिया जा सकता। याची आधार कानून की धारा 47 के तहत दंडनीय अपराध के सक्षम न्यायालय से शिकायत कर सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने ग्राम परसोदा, लोनी, गाजियाबाद के भारतभूषण थापर की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग खन्ना व भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने बहस की।
याची अधिवक्ता का कहना था कि जय प्रकाश गुप्ता व किरण वेदी गुप्ता ने शालीमार गार्डन कॉलोनी में 1981 में प्लॉट खरीदा। इनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे ने याची की मां रक्षा देवी थापर व बहन कुमारी मधु थापर को 1990 में उसे बेच दिया। फिर प्रमोद कुमार सिंह चौहान नामक व्यक्ति ने उस जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की। चार नवंबर 2012 को घटना की एफआइआर दर्ज कराई गई। याची ने कोर्ट से जमीन के कब्जे पर निषेधाज्ञा भी प्राप्त कर ली। हालांकि अपील में कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है। जय प्रकाश गुप्ता व किरण देवी गुप्ता के आधार कार्ड को दूसरे लोगों के नाम बदलकर जमीन रेखा अग्रवाल के नाम बेच दी गई।
उसी नंबर से जारी आधार कार्ड को रोशन आरा को किरण देवी गुप्ता तथा अशोक को जयप्रकाश गुप्ता बताकर कार्ड जारी करा लिया गया, जबकि गुप्ता पति पत्नी की मृत्यु हो चुकी है। मरे हुए लोगों के आधार कार्ड दो लोगों के नाम बदलवा कर जमीन का बैनामा करा लिया गया। इस पर यह याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट से आधार कार्ड की पत्रावली तलब करने की मांग की गई थी। इस धोखाधड़ी पर याची ने दो मार्च 2015 को पीके सिंह चौहान, अनिल अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, सुरेशचंद्र मित्तल, कुमारी दिशा श्रीवास्तव के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। कोर्ट ने कहा सक्षम न्यायालय में दंडनीय अपराध को लेकर इस्तगासा दायर किया जा सकता है। केवल शिकायत पर कोर्ट आधार सूचना देने की अनुमति नहीं दे सकता।